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स्कूल -कॉलेज के सुनहरे दिन

स्कूल - कॉलेज के सुनहरे दिन (संस्मरण)  


मुझे अच्छी तरह याद है वो दिन जो मेरा स्कूल का पहला दिन था। जहां प्रथम दिन सब बच्चे माता-पिता से लिपटकर ज़ोर ज़ोर से रोते हैं वहीं मैं बिल्कुल शांत थी । माँ को भी मेरे ऐसे रवैये पर आश्चर्य हो रहा था। 

बहरहाल उन्होंने मुझे पहली कक्षा में बैठाया और मुझे स्कूल छोड़ कर घर चली गई। पहली कक्षा में टीचर बोर्ड पर कुछ लिखा रही थी जो मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था । बहुत बोरिंग l  
बगल की क्लास से अचानक हारमोनियम और गाने की आवाजें सुनाई देने लगी -" राजा के दो सींग ,राजा के दो सींग " मैं खिड़की से झांक -झांक कर देखने की कोशिश करती पर नन्ही सी जान, कुछ भी देख नहीं पा रही थी । 
फिर हुआ लंच टाइम और मुझे मौका मिल गया, तुरंत उस क्लास में पहुंची  l परमानंद में खो गई संगीत के साथ l साथ साथ गाने लगी-" राजा के दो सींग राजा के दो सींग" । वो टीचर भी बहुत अच्छी थी मुझे बहुत प्यार से हैंडल कर रही थी । 

आनंद की स्थिति में वक्त का ध्यान कहाँ रहता है। पता ही नहीं चला कब स्कूल छूटने का समय हो गया l माँ मुझे लेने आई और मैं क्लास में थी ही नहीं l 
उनकी हालत ख़राब हो गई l वो लगभग रो ही दीं थीं । चार साल की बच्ची क्लास से कैसे गायब हो गई ?? 

वे सबसे पूछती फिर रही थी । किसी ने देखा मेरी बिट्टू को?? फिर किसी ने कहा - बगल की क्लास में भी देख लो। और मैं वहाँ बैठकर गाती हुई पाई गई l 😂😂माँ की समझ में नहीं आ रहा था कि मुझे डांटे या हंसे l 

ऐसा था मेरा स्कूल का पहला दिन l 
और अगले दिन जब माँ मुझे स्कूल लेकर आई तो मैं पहली कक्षा में बैठने को तैयार ही नहीं थी। मैं चौथी कक्षा में बैठने की जिद करने लगी। जहाँ गाना गाया जाता था। 😄🎤🎧🎹🎼

अपर्णा "गौरी" 

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11 Comments

Radhika

07-Feb-2023 09:56 PM

Nice

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Pranali shrivastava

31-Jan-2023 07:08 PM

V nice 👍🏼

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अदिति झा

26-Jan-2023 07:48 PM

Nice 👍🏼

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